बदले नजर आते हो

भूलना जितना भी चाहती हूँ मैं तुम्हें
फिर क्यों तुम रह रह कर याद आते हो।

आज भी निकलती हूँ मैं तुम्हारी ही गली से
फिर क्यों तुम मुझे नजर नही आते हो।

करते हो तुम अक्सर गैरो से मेरी ही बातें
फिर क्यों मुझे देख वहाँ से चले आते हो।

बात बात पर रुठ जाने की आदत थी तुम्हारी
सुना हैं 'भानु 'अब बहुत बदले बदले नजर आते हो।


      भानुजा शर्मा

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