गीत
"सोचते थे"
इस खातिर कभी पूछा ही नहीं
देख कर गैरों की बाहों में हम
हम चुप थे जैसे देखा ही नहीं
बरसते रहे रात भर दो नैना
सिसकियां मेरी मैंने सुनी ही नहीं
कर दिए थे जो तुमने झूठे वादे कभी
मैंने सच मानकर कुछ कहा ही नहीं
छोड़ दी थी जो जग से आश कभी
तुमसे कि पर 'भानु' मैंने कहा ही नहीं
हो मधुकर तुम सब कहते थे ये
एक कली पर दिल लगा ही नही
भानुजा शर्मा
👌👌👌
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