कहा बनावत सखी तुम सांझी
शांतनु कुंड बैठत बिहारी

कहा मांगी सखी तुम सांझी
मदन गोपाल बैठत ढिग मोरे
करत बतियाँ प्यारी

सुमन अली अद्भुत सतरंगी
घन दामिनी नभ उर प्यारे
सखी हम सग भीगन हारी

शांतनु कुंड विहरत दोऊ
भानुजा संग शांतनु बिहारी

भानुजा शर्मा( शुक निकुंज)


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