शेषनाग
बैठी किशोरी कुंजन में,सखियों की हठ निराली हैं
देखन चाहे विष्णु रूप कौ, शेषनाग पौढ़े त्रिपुरारी है
मान रखो किशोरी इच्छा कौ, प्रगटे अष्ट कमल धारी हैं
चरण चापत श्री जिनके, पौढ़े शेषशैया विष्णु रूप धारी हैं
करो विवर्तन रूप लला तुम, माखन चोर छवि प्यारी है
छोड़ो रूप बैकुंठ को प्यारे,भानुजा भावत बांके बिहारी हैं
भानुजा शर्मा✍️✍️
(शुक निकुंज)
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