" चुपके चुपके ही सही उसकी ख़बर रखते हैं"
चुपके चुपके ही सही पर
उसकी ख़बर रखते है
बात करता है गैरों से जब वो
हम उस पर नजर रखते हैं
नही पढ़ पाते वो हमारे इन लफ्ज़ो को
भानु हम उनके मौन की भी खबर रखते हैं
चांदनी से पिघल जाते है वो अक्सर
जो अब दिल को पत्थर बनाये रखते हैं
मौसम सी अटखेलियां वो करते हैं
भानु वो मिज़ाज भी मौसम सा रखते हैं
मिलकर के उनका हमसे बिछड़ के जाना
अब ना हम बसल की ये बात रखते हैं
ले जाकर हमको हमारी ही महफ़िल मे
भानु हमारे कत्ल को खंजर छुपाये रखते हैं
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