पुष्प चयनन लीला
तोड़ती फूल जब प्यारी
तोड़ती फूल सखी सारी
तोड़ती फूल जब प्यारी
शोभा लगत अती प्यारी
कोमल कली चुन चुन कर
ड़लियां भर गई सारी।।
अरे तुम कौन हो री -2
कहते आये हैं बनवारी
मेरी बगिया उजारी है-2
अरी तुम फूल चोरन हारी
ललिता कहत अजी तुम कौन-2
वन में हमकौं रोकन हारी।।
हम तो देव पूजा हित-2
लेवे नित ही कुसुम उपारी
याते पूर्व ना देखे-2
कब ते बने हो बनमाली
ये रानी राधिका ब्रज की-2
सारे वन कि है अधिकारी।।
अरि हम जान ना दईयें
फूलन तोड़ ना पईयें
ठाड़े श्याम लकुटी धारी
ललिता कहत जावो जी
उरझो मत देईगी गारी।।
करे चोरी सीना जोरी-2
बड़ी बेशर्म हो तुम नारी
मेरी बगिया उजारी है-2
मिलेगो दंड तुमको भारी
कैसे दंड अरि को दंड-२
तुम इकले हो हम बहु सारी।।
मारे गाल पे गुलचा-२
कर दे सीधो तुम्हें खिलाड़ी
हँसी मुस्कात कहे श्रीराधा
अरि ललिता करे क्यो रार
जो माँगे सो दे दे
बेचारों दीन वनमाली।
कहो हमते कहा चहीये-२
ये साहूकार सुकुमारी
लेके रास्ता छोडों
कर दई देर तुमने भारी
हँसी मुस्कात सांवरिया-२
कहत मधुर बचन उचारी।।
हमें कछु और ना चहीये-२
चहियें एक राधा प्यारी
सुन के चकित सब सखियां
ललिता कुटित भई हैं भारी
सब पकरण को धाई है-२
पकर लिये दौड़ के गिरधारी।।
आगई हाथ में मुरली
हँसी सब जोर से सारी
ललिता -प्रियाजी लेवो बनमाली
ये चित चोर छालियारी
खुल गयो भेद मिट गयो खेद
बैठे संग प्रिय-प्यारी।।
सजाये दोऊ फूलन सो
लड़ाये लाड़ रुचि प्यारी
विराजे कुंज में दोऊ
परस्पर बाह उर डारी
"भानुजा" बलिहारी
फूली रहे फुलवारी
कुसुम सरोवर में आई
कुसुम लेवे प्यारी
आये सावरे ऊत ते
बने हैं आज बनमाली
अरि तुम कौन हो री
फूल चोरन हारी।।
Comments
Post a Comment