चले आएंगे

तुम कभी नाम तो लेना हम चले आयेंगे
चाहें बरसात हो या रात हो हम चले आएंगे

घुली होगी आज भी मिट्टी में हमारे बाते
मैने अश्कों से सींचे है  ये गुलिस्तां जाने
बैठकर की थी जिस आशियाने में हमनें बातें
रोती हैं आज उसकी चौखट ये मेरा दिल जानें

तुम कभी वो सब याद तो करना हम चले आएंगे
चाहे बरसात हो या रात हो हम चले जाएंगे

भानुजा✍️✍️


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