उलाहना

समझाले अपने लाला है समझाले अपने कान्हा हैं
होरी में करत किलोल , फागुन मे करत किलोल
 मईया समझाले अपने लाला हैं ......

1.भर भर मटकी ये रंग की लावे
केसर तो ये खुब मगावे
और ग्वालन को लावे टोल...
 ये तो होरी में......

2.माखन को याने कीच मचायो
  थोड़ो खायो और लुटायो
  मटकियां मेरी दई फोर......
  अबकी होरी में....

3. उलाहनों लेके सखी संग आई
   क्यों छिपे अब कृष्ण कन्हाई
   भानुजा रंग में देओ याये बोर
    अबकी होरी में.....


   भानुजा✍️

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