Posts

Showing posts from March, 2021

होली हैं

खेली होली जो श्याम संग ना दूजा रंग मन भाए। भागत फिरत में कुंजन में माधव निकुंज पकर ले जाए। प्रेम रंग से रंगी चुनरिया ओढ़ के सखी हरषाये। पकड़ के बईयां जब झकझोरी  लाज शर्म धरी रह जाए। खेलत फ़ाग कृष्ण संग भानु अब ना जग की होरी भाय। रंग भरे उत्सव की सभी को शुभकामनाएं   भानुजा शर्मा✍️🙏🙏🙏🙏

चले आएंगे

Image
तुम कभी नाम तो लेना हम चले आयेंगे चाहें बरसात हो या रात हो हम चले आएंगे घुली होगी आज भी मिट्टी में हमारे बाते मैने अश्कों से सींचे है  ये गुलिस्तां जाने बैठकर की थी जिस आशियाने में हमनें बातें रोती हैं आज उसकी चौखट ये मेरा दिल जानें तुम कभी वो सब याद तो करना हम चले आएंगे चाहे बरसात हो या रात हो हम चले जाएंगे भानुजा✍️✍️

सपनों को हवा

Image
      इस भीड़ भाड़ वाली दुनियां में ख़ुद को अकेले किये जा रही हूँ  एक सच बतलाऊ परेशा हूँ मैं फिर भी हँसे जा रही हूँ। काजल बिंदी सब श्रृंगार को छोड़ बेरंग सी अब मैं नजर आ रही हूं कहि एक दुल्हन छुपी हैं मन में जिसे मैं मारती जा रही हूँ। सपनों की गठरी में आग लगाकर बेचैन सी मैं सोये जा रही हूं अपनों के ख़्वाओ की ख़ातिर मैं अपने सपनों को दफ़नाने जा रही हूँ। उलझी हुई मेरी दुनिया को मैं अब क्यों सुलझाने जाने जा रही हूं बुझा दिए थे अंगारे कही मैने भानु अब उन्हें मैं हवा दिए जा रही हूं।  भानुजा शर्मा करौली(राजस्थान)✍️✍️

उलाहना

Image
समझाले अपने लाला है समझाले अपने कान्हा हैं होरी में करत किलोल , फागुन मे करत किलोल  मईया समझाले अपने लाला हैं ...... 1.भर भर मटकी ये रंग की लावे केसर तो ये खुब मगावे और ग्वालन को लावे टोल...  ये तो होरी में...... 2.माखन को याने कीच मचायो   थोड़ो खायो और लुटायो   मटकियां मेरी दई फोर......   अबकी होरी में.... 3. उलाहनों लेके सखी संग आई    क्यों छिपे अब कृष्ण कन्हाई    भानुजा रंग में देओ याये बोर     अबकी होरी में.....    भानुजा✍️