होली

साबरों करत मोसे जोरी, कहवत हैं होरी हैं होरी
मारग रोको मटकी फोड़ी
पकर के बईया मैं झकझोरी
मुख से बोले होरी हैं होरी.........

मरजादा कछु राखत नाही
भर के अंक गुलाल मले री
कोरी चुनर मोरी रंगी री
कहवत मुख सो होरी हैं होरी..........


मैं तो अकेली गई पनघट पे
वो लायो ग्वाल की टोली
घोलो रंग मोरी मटकी में
मैं रंग में सगरी बोरी
होरी है होरी...............
 
मनमोहन भानु मन में बसों हैं
क्यों करत फिर जोरी....होरी हैं होरी
साबरो करत मोसे जोरी होरी है होरी......

भानुजा शर्मा करौली(राजस्थान)


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