क़दम तन
क़दम तन ठाड़े दोऊ बतरावे
भीगत बसन तोहू मुस्कावे
क़दम तन ठाड़े दोऊ बतरावे।।
नैनन ही नैनन में बतियां करत हैं
मन ही मन में दोनों हँसत हैं
बैठत हैं दोऊ गलवैया डारे
देखें मैंने क़दम तन बतराते।।
शीतल शीतल पवन बहत हैं
यमुना में बड़ी लहर उठत हैं।
बदरी जैसे झूमत गावत
क़दम तन प्यारे दोऊ बतरावत।।
सुध बुध नाही की घन हैं बरसे
एक दूजे में मगन वो कब से।
ओढ़ चुनरियां श्रीजी की दोनों
नैनन सो आज अमृत बरसे।।
भानुजा✍️✍️
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