गीत

हैं तुमसे मोहब्बत कितनी तुम जानते नहीं
भरते हैं हम आहे तुम क्यों पहचानते नहीं।

 राहों में मिल कर भी तुम क्यों मुस्काते नहीं
 हैं तुमसे मोहब्बत कितनी तुम पहचानते नहीं

 कहते हो हम दर्द हो मेरे दर्द क्यों बाँटते नहीं
 भरते हैं हम आहे  तुम क्यों पहचानते नहीं

 कहने से क्या होगा खामोशी पहचानते नहीं
 हैं तुमसे मोहब्बत कितनी तुम क्यो जानते नहीं।

भानुजा शर्मा

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