गेरों से बात करते हैं

जानती हूं कि वो मोहब्बत बेशुमार करते हैं
 पर रात ढले वो गैरों से बात करते हैं।

  जाने क्यों भूल बैठे हैं वो मिलन की बातें
 वो मुझें देखकर भी अब अनदेखा करते हैं।

मानती हूं कि वो गैरों के साथ रहते हैं
नहीं जानती दिल से बग़ावत कैसे करते हैं।


मुझें औरों से बात करता देख कभी
अपना हक़ फिर क्यों जताया करते हैं।

 

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