फ़ाग

बरस गयो अब फागुन आयो
अब ना करो नादानी।

 पल पल छिन छिन मैंने मनमोहन
 या फाग की राह निहारी।

 अबीर गुलाल संग लायो हैं कान्हा
 रंगगली याने ने रंगडारी।

 मांग भरो तुम हमरी मनमोहन
 कहवत राधा प्यारी।

अब कौ गया फागुन जाने कब आवैगो
अब ना भानु करो नादानी।

    भानुजा शर्मा✍️✍️

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