लम्हें
उन गुज़रे हुये लम्हों की कसक आज भी हैं
तू कल मेरा था ,तू आज भी हैं
तू सोचता हैं गुज़र जायेगी साल तू भूल जायेगा।
उन पुराने लम्हों की ख़बर तो तुझें आज भी हैं।
कुछ पुराने सपनें ले गया तो कुछ नये दे गया हैं
याद तो कर तुझें हमसा हमसफ़र दे गया हैं।
पूछतीं क्या हैं भानु तू ज़माने का अब पता..
तोहफ़े में वो मेरे श्याम का पता दे गया हैं।
Comments
Post a Comment