" गुज़रे लम्हें"
ऐ वक्त सुनो तुम ठहर जाओ ना
चाहें मेरी ख्वाहिशों को दफना दो
सुनो मेरे बीते लम्हों को लौटा दो ना।
जब वो मेरा था उस पल को रोक लो ना
उसके थामे हाथ को थमे रहने दो
मुझे यूंही उसके साथ ज़िन्दगी जीने दो ना।
चलो माना तुम समय हो बदल जाते हो ना
तुम मुझे खुद में खुद को बाकी रहने दो
बदलते लोगों के व्यवहार को बदल जाने दो ना।
सुनो ना 'भान' वो मुझे याद तो करते हैं ना
उनकी यादों में ही मुझें कैद हो जाने दो।
ऐ गुज़रे लम्हों मुझें भी अब गुज़र जाने दो ना।
भानुजा शर्मा✍️✍️
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