पिया के बिन जोगन बनी थीं
देख मोहे मेरे पिया नजरें क्यों फेरे
मैं मुस्काऊ पिया तिरछें ही देखें।
सजी सबरी सी मैं रह गई दुल्हन
तेरे बिना पिया बन गई जोगन
बाबुल घर छोड़ संग आई
पिया मन में तनिक ना भाई।
देख मुख मेरे पिया मुख से ना बोले
खुली किवरियां ,...सब सच बोले
मेहंदी पर मेरे आँसूअन की बेला
महावर भी मेरी हंसने लगी थी।
आंखों में थे मेरे मोती गर्दन झुकी थी
ना जाने क्यों पिया की नज़र ना पड़ी थीं
पिया के बिन मैं जब जोगन बनी थीं
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