लला को नचावत प्यारी

लला को नचावत प्यारी
खेल ख़िलावत न्यारी

वो बरसाने की कुंजन में 
 हैं धूम मचावन हारी।

ऐसे नाचों बनवारी
मैं सीखा सीखा के हारी।

मुरली बजावत प्यारी
और गावत हैं त्रिपुरारी।

ये देखे सखियां प्यारी
ये हँसी करेंगी न्यारी।

तुम मानो बात हमारी
अब छोड़ो जिद ये सारी।

अब थामो मुरली तुम्हारी
घर जावन दो बनवारी।

भानुजा शर्मा✍️✍️

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