" मेरा घर"

मायके के घर में एक कमरा मेरा ना हो सका
कैसे मैं उम्मीद रखूं की ससुराल में मेरा कमरा होगा।

एक सपना था मेरा उनकी सारी यादों को सजा कर कमरे में रखूं।
सच कहूँ इस बड़े से घर में एक कमरा ना रहा मेरा

समेट कर सारी यादें फिर से बंद कर दी एक बस्ते में
ये सोच कर शायद मेरे घर में एक कमरा होगा मेरा।

मेरे एक सपने में एक सुनहेरा सपना देखा हैं मैंने
ना मायके का ना ससुराल का खुद का एक घर होगा मेरा।

मेरे घर में एक छोटा सा कमरा बनाऊँगी मेरा 
जहाँ सजा कर रख पाऊँगी मैं सारी यादों को

मेरी किताबें भी खुल कर हँस पाएंगी
मेरे डायरी में लिखे मेरे अल्फाज खुल कर सास ले पाएंगे

मेरे बिखरे पन्नो को ना कोई समेटेगा
ना बंद करके रखनी पड़ेगी मुझे मेरी डायरियां

क्यों कि वो घर ना ससुराल का होगा ना मायके का
वो घर सिर्फ और सिर्फ मेरा होगा।

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