"शरद पूर्णिमा उत्सब"
शरद पूर्णिमा की शरद रात्रि
महोत्सब ब्रज में भारी है
चाँद से कृष्ण हमारे हैं
चाँदनी राधा प्यारी है।
करत महारास माधव कुंज में
सजी गोपीजन न्यारी है
करत लता पुष्प बरखा आज
शीतल पवन चलत प्यारी है।
पधारी रास रशेस्वरी रासमंडल में
दंडवत करत बनवारी है
शृंगार करत माधव राधा को
चरण सेवा में मंजरी गण सारी हैं।
लियो स्वरूप युगल रास को
गोपी बने तब त्रिपुरारी है
नैनन की भाषा में कृष्ण बोले
गोपीनाथ की छवि न्यारी है।
शब्द ना सूझत रूप वर्णन को
वर्णन करन की ना सामर्थ म्हारी है
देखे चरण जब किशोरी के
भानु को सर्बसव बलिहारी है
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