" गीत बनकर"

गीत बनकर मैं तुम्हारे जहन में बस जाऊँगी
तुम मुझे गुनगुनाते रहना एक ग़ज़ल की तरह...

1.रूठ कर मै तुमसे दूर चली जाऊँगी
चाह कर भी मैं लौट ना पाऊँगी
याद तुम को मै आयात की तरह आऊँगी।

2.याद आयेगी तुमको जब मिलन की बातें
मेरी शरारतों पर तेरा रूठकर जाना
देखकर खुद को आईने में मगर तुझे मैं ही नजर आऊँगी

3.याद करना कभी तो झूठे वादों को
तेरी हस्ती भी मुझ से थी ऐसी बातों को
मै खामोश होकर ही दूर चली जाऊँगी।

      भानुजा शर्मा



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