'आत्महत्या एक पाप है"

आत्महत्या- आत्मा की हत्या करना ही आत्महत्या है
वर्तमान समय में आत्महत्या करने की खबरें हम अक्सर समाचार पत्र, सोशल मीडिया आदि पर हम देखते हैं शायद इस समस्या को हम और हमारा समाज गभीर रूप से नही ले रहा जिससे चलते ये समस्या हमारे समाज में अपनी जड़ें जमाने लगी है खबरों के मुताबिक माने लगभग 8,00,000 से 10,00,000 लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, जिस कारण से यह दुनिया का दसवे नंबर का मानव मृत्यु का कारण है। आत्महत्या के कई कारण हमारे सामने आते हैं जैसे विद्यार्थियों का परीक्षा में सफल ना हो पाना,कर्ज ना चुका पाना, मानसिक तनाव आदि।
मेरे दृष्टिकोण से आत्महत्या एक घोर पाप हैं मनुष्य के जीवन में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका हल मनुष्य ना निकाल सके आत्महत्या कर लेना किसी समस्या का निवारण नहीं है ऐसा विचार मन में लाने से पहले एक बार अपने परिवार जन अपने माता पिता के बारे में अवश्य विचार करें क्या आपने कभी सोचा है जो पिता अपनी संतान को अपने कंधों पर बैठा कर दुनिया दिखाता है सपने दिखता हैं स्वयं परिश्रम करके आप का पालन पोषण करता है एक पिता के सामने उसकी संतान स्वयं की हत्या कर लेती है पिता के कमजोर कंधे इस वेदना को सहन करने में असमर्थ होते हैं वह पिता जीते जी एक जिंदा लाश की तरह होता है मेरे शब्दों में इतनी सामर्थ्य नहीं उस वेदना का,दर्द का उल्लेख कर सकूं मैं स्वयं निशब्द हूं। जन्मदायनी देवी सरूपा माँ जो आपने जन्म के समय असहनीय दर्द को सहन करने की सामर्थ रहती हैं आपको जन्म देती हैं पर उसकी संतान स्वयं की हत्या कर ले तो इस दर्द को माँ सहन करने में असमर्थ होती है जो माँ आपको दर्द सहकर भी दुनिया में ला सकती है तो क्या आप उस के लिए दुनिया में रह नहीं सकते।
मैं स्वयं एक विद्यार्थी हूं जब विद्यार्थी वर्ग के आत्महत्या करने की खबरें मैं सुनती हूं तो स्तंभ रह जाती अच्छे अंक लाने से ही आप सफल माने जाते हैं ऐसा नहीं है मैं अभिभावकों से की निवेदन करना चाहूंगी कि वो अपने बच्चों पर अनावश्यक रूप से दवाब ना डालें क्या आपका बच्चा डॉक्टर या इंजीनियर बनेगा तभी सफल होगा ऐसा नहीं है आप अपने बच्चों को उनकी पसंद के हिसाब से विषयों का चयन करने दे इससे विद्यार्थी स्वयं दवाब अनुभव ना करके अपनी रुचि के हिसाब से पढ़ सकेंगे।
जिन वैज्ञानिकों के कारण आज हमारा विज्ञान है हमारा विकास है क्या वह कभी असफल नहीं हुए ऐसा नहीं है वो भी अनेकों बार असफल हुए हैं किंतु उन लोगों ने आत्महत्या नहीं की आत्महत्या करते तो आज हम लोग अंधेरे में बैठे होते हैं कभी बल्ब का आविष्कार हो  नहीं पाता।
सदैव याद रखें की दुनिया की ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका हल ना हो आत्महत्या एक पाप है यह विचार भी मन में ना लाएं स्वयं के साथ अपने परिवार जनों के बारे में भी विचार करें।
हमारी सरकार को भी इस समस्या को गंभीर रूप से लेना चाहिए और इसके लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। 
          
       भानुजा शर्मा

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