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Showing posts from August, 2020

'मंगल गीत'

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बृषभान के अंगना बजत बधाई देखो री कीरत जा ने लाली जाई घर घर मंगल ब्रज में बजत बधाई वृषभान द्वार सब हिल मिल आई। गावत मंगल बैठ पोरी में और झूमत गावत हैं सारी बाबा लुटावत सर्वस अपनों कीरत जू झुलावत राधा गोरी। ब्रज में उत्सब आज मनो हैं लाली ने आज जन्म लिया है नेत्र ना खोलें राधा प्यारी श्याम कु निरखन चाहे प्यारी छठी महोत्सव को दिन आयो नंद बाबा संग लाला आयो  किशोरी के पलना में पोधायो स्पर्श पाय किशोरी  नेत्र है खोले नैनों से नैनों की भाषा बोले इतने में आए ढाढ़ी ढाढ़ीन युगल को देख खूब हरषाये मन ही मन में लाड लड़ाये   नख शिख ढाढ़ीन पेहरावो द्वार बाबा तुमरे मंगल गायो  घड़ी आज उत्सब की हैं भारी 'भान'  ने भानुजा को दर्शन पायो

'मेरी छोटी सी किशोरी'

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मेरी छोटी सी लली मेरे आगे पीछे डोले श्याम श्याम कहवत कानन में मिश्री सी घोले हाथन कंगन पांव में पायल   प्यारी छम छम करती डोले। भोरी सूरत भोरो मन याको येतो सब से मीठी मीठी बोले। अन्न धन ये तो सवकु लुटावत स्वयं श्याम पे लूट जावे। नीली प्यारी ओढे चुनरी  वर्णन मुख सो करो ना जावे। कृपा बरसावे भोरी राधे ये बरसाने बारी कहावे। नाम लेत मिश्री मुख माही भानुजा को तन मन राधे गावे।       भानुजा शर्मा 📝📝

'आत्महत्या करने वालों के साथ हमारी सम्वेदनाएँ'

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आत्महत्या- स्वयं को मारना ही आत्महत्या कहलाता है यह सब पढ़कर सुनकर ऐसा लगता है ना कि कोई जानबूझकर तो ऐसा नहीं करेगा कोई खुशी में तो  ऐसा नहीं करेगा कोई तो मजबूरी रही होगी उस इंसान की जिसने भी आत्महत्या की होगी। मेरे दृष्टिकोण से जो मैंने समाज में देखा है समझा है उस हिसाब से निर्धनता ,मानसिक तनाव, बेरोजगारी ये ऐसे कारण हैं जिनकी बजह से लोग आत्महत्या करने की ओर अग्रसर होते हैं। मेरे स्वयं के देखे हुए हालात जिनके कारण एक मनुष्य ने आत्महत्या की मैं वो बताना चाहूंगी नाम और स्पष्ट नहीं करूंगी एक गरीब परिवार जिसमें सिर्फ पिता मजदूरी कर के अपने परिवार का जीवन यापन करता था कुछ बक्त तक उसे रोजगार मिलता रहा और उसके परिवार का भरण पोषण होता रहा कुछ बक्त कर्ज़े के पैसों से परिवार का पेट भरा लोगों ने उसे कर्जा देना भी बंद कर दिया एक समय ऐसा आया उस पर कर्जा भी बढ़ गया और कोई रोजगार भी नहीं था उसके चार बच्चे जो भूख से व्याकुल थे और अपने पिता से सिर्फ बार-बार यह बोल रहे थे खाना कब मिलेगा पिता निशब्द हो कर घर से चला गया कुछ देर बाद बापस आया तो देखा घर के दरवाजे पर लोग खड़े हैं पास जाकर देखा तो ये वही ल...

'आत्महत्या एक पाप है"

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आत्महत्या- आत्मा की हत्या करना ही आत्महत्या है वर्तमान समय में आत्महत्या करने की खबरें हम अक्सर समाचार पत्र, सोशल मीडिया आदि पर हम देखते हैं शायद इस समस्या को हम और हमारा समाज गभीर रूप से नही ले रहा जिससे चलते ये समस्या हमारे समाज में अपनी जड़ें जमाने लगी है खबरों के मुताबिक माने लगभग 8,00,000 से 10,00,000 लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, जिस कारण से यह दुनिया का दसवे नंबर का मानव मृत्यु का कारण है। आत्महत्या के कई कारण हमारे सामने आते हैं जैसे विद्यार्थियों का परीक्षा में सफल ना हो पाना,कर्ज ना चुका पाना, मानसिक तनाव आदि। मेरे दृष्टिकोण से आत्महत्या एक घोर पाप हैं मनुष्य के जीवन में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका हल मनुष्य ना निकाल सके आत्महत्या कर लेना किसी समस्या का निवारण नहीं है ऐसा विचार मन में लाने से पहले एक बार अपने परिवार जन अपने माता पिता के बारे में अवश्य विचार करें क्या आपने कभी सोचा है जो पिता अपनी संतान को अपने कंधों पर बैठा कर दुनिया दिखाता है सपने दिखता हैं स्वयं परिश्रम करके आप का पालन पोषण करता है एक पिता के सामने उसकी संतान स्वयं की हत्या कर लेती है पिता के कमजोर कंधे इ...