"आजा आजा री बरखा"
आजा आजा री बरखा , हौले हौले से आजा
आज तन मन को भीगा जा री बरखा
मेरे कान्हा को मिलवा जा री बरखा
चहूं और बदरिया छाई री बरखा
कुंजन में आज चमाचम बिजली चमके
बदरिया में श्याम दिखला जा री बरखा
झूलत होंगे श्यामा श्याम आज कुंजन में
किशोरी के चरनन को धूलवा जा री बरखा
आज धीमे धीमे तू आ जा री बरखा
किशोरी के चरणन में जल बन तु टपके
चरणन में गिर अमृत बन जा री बरखा
श्यामा श्याम के दर्शन करा जारी बरखा
चन्द्रकला पर तु बूंद बन गिर जा
चमकेगी तु तब सीप को मोती
पवन चले तब घिर आ री बरखा
हां श्याम के मुख पर तेरी बूंदे
चमकत है जैसे चंदा की किरणें
प्रीतम के तन को भिगों जा री बरखा
बनाकर बूंद कुंजन मे ले चल ...
किशोरी के चरणन में गिरु बूंद बनके
भानुजा को जीवन सफल करा जा री बरखा
So Nice��
ReplyDeleteBest of luck for your future
ReplyDeletethank you deep
Delete