" झूला आज कुंजन में"
आयो सखी सावन आयो
मौसम बड़ो सुहावन आयो
श्री जी आज कुँज गई है
पीछे श्रीजी के माधव आयो।
ललिता संग विशाखा आई
फूलन की भर टोकरीयाँ लाई
ड़ारो हैं अमियाँ की ड़ारी पे झूला
रेशम की यामे डोरी लगाई।
कान्हा कारी कामर बांध के आयो
मोर मुकुट याने शीश सजायो
किशोरी मोरी आज लहरिया में आई
बेनि आज फूलन सो सजाई।
बैठे युगल जब दोउ झूला पे
शुभा इनकी वरन ना जाई
चरनन के नुपुर छन छन बाजे
चलत है तब मंद पुरवाई।
झूला गीत गावन भानुजा सखी आई
उपहार में काली जमुनिया लाई
छुपाये रखो हैं माखन को लोदा
माखन मिश्री युगल नें पाई।।
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