"कान्हा की याद सतावत हैं"
किशोरी मोये नंदलाला की याद आवत हैं
प्यारी मेरे जियरा में चैन ना पावत हैं
कैसे निकसु आज दरश करन कू
ये बदरिया जल बरसावत हैं
गेल में घुटुअन घुटुअन जल भरो है
ये मन को समझ ना आवत हैं
मोये आज मोहन की याद सतावत है
प्यारी मेरो जियरा भर आवत है
आँखन मूदूँ तो भानुजा लाला दिखे
मोये चहु ओर वो ही नजर आवत है
किशोरी तुम ही बन जाओ आज कन्हैया
मेरो मन दर्शन कु भागत हैं
किशोरी ने मोर मुकुट आज शीश धरो हैं
राधा प्यारी मुरली मधुर बजावत है
ओढ़ो है आज पीतांबर श्यामा जू
वृषभान कु श्याम रूप दिखावत है
ललि झिनो कजरा लगावत है
अधरन की लाली मन कु भावत है
रूप देख बृषभान ललि को
अब लला ही लला नजर आवत हैं
मोहे श्याम की याद सतावत है
मेरे जियरा कु चैन ना आवत है
रूप देखो जब श्रीजी को कीरत
अब भानुजा भानुजा कू देखन जावत हैं
अद्भुत रचना
ReplyDeleteधन्यवाद जी
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