" कलम"

ना कागज पास है ना मेरी कलम साथ है
ना जाने क्यों बस अधूरा सा एक अहसास है
दुनिया की छोड़ो भानु अब अपने ना साथ है
लड़खड़ाते है जब कदम मेरे धक्का देने पूरी बारात है।



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