" तीज सुहानी"
आज तीज की घड़ी सुहानी
झूले कान्हा संग ठकुरानी।
पवन मंद और शीतल बहती
बरसत है जहाँ रिमझिम पानी।
कुंजन बिखरे आज पुष्प सारे
पुष्पन मध्य राधामाधव हमारे
सखिया निरख निरख हरषावे
अपने प्रियतम को लाड लड़ावे
बैठी झूला पे राधा प्यारी
झोटा देवत है गिरधारी।
श्रीजी मोरी मन मन घबरावे
मनमोहन मेरो मंद मंद मुस्कावे।
झोटा होले देओ बनवारी
मोये तो लगत हैं ड़र भारी।
घबराओ ना राधा प्यारी
तुम तो हो प्राण हमारी।
देख दृश्य महादेव भी आये
रूप सखी को वे धर आये।
झूलन लगे युगल झूला पे
झोटा को अब गोपेश्वर आए।
बलिहारी भानुजा छवि देखकर
छवि बसाय मन मन मुस्काये।
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