" चुप चुप से बैठे हैं"
चुप चुप से बैठे हैं
इन खामोश रातों में
निहारत है चांद को
तारों से बात करते हैं
सन्नाटे का साया है
जुगनूओं की रात में
देखकर सितारों को
सुबह का इंतजार करते है
पतझड़ के मौसम में भी
सावन की आश करते हैं
घिरे हुए है भानुजा नीर से
फिर भी जल की तलाश करते हैं
जमाने की भीड़ में
खुद की तलाश करते हैं
आज अपनों के बीच में
अपनों की तलाश करते हैं
भानुजा शर्मा📝
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