"वफादार बहुत है"
छोटी सी जिंदगी में तकलीफ बहुत हैं
समुंदर तेरे किनारे बहुत हैं
जहां भी जाये वहां मिलते हैं शायर
लगता है दुनिया में बेवफा बहुत हैं
उसके घर में रोशनी बहुत है
टूटे चांद लटके बहुत हैं
लगता है तोड़े है उससे ने हजारों दिल
अश्कों के मोती में जगमगाहट बहुत है
खेलते हैं वो अक्सर अब चांद तारों से
लगता है पहले दिलों से खेले बहुत हैं
रोता रहता है उसकी गली का हर एक आशिक
लगता है वो भानुजा बेदर्द बहुत है।
सितम करके मुड़कर नहीं देखते वो अक्सर
कहने को जमाने में वो हमदर्द बहुत हैं
चकोर भी शरमा जाता है उनको देखकर
सुना है वो खूबसूरत बहुत है।
टहलने निकलते हैं वो जब सड़क पर
सुना है उस रोड पर जाम लगते बहुत हैं
उस बेवफा की वफादारी के किस्से गाते हैं शायर
कहलाने को जमाने में वो वफादार बहुत है।
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