"प्रिया जू"

उठत बैठत यहां राधे को नाम है
सबके मन मंदिर मे श्यामा श्याम है
धाम होये भलेही कान्हा तेरो ....
पर चलत यहाँ राधे को नाम है।।

गोवत है बेनी जहां कृष्ण प्रिया जू 
श्रृंगार करत फूलन सो.....
रास देखन ब्रजराज को आज
शिव जी हू आज सखी बन आई है।

बीड़ा चवाबत जहां श्यामा श्याम जू
लगत अधरन पर  लाली है
निरखत है यह छवि भानु सखी हैं।।
तो आवत अखियन सो पानी है।।

छोटी सी विनती सुन लीजै
दासी को अब शरण में लीजै
नही भावत ये झूठे बंधन.....
अब तो प्यारी भानु को अपनों कर लीजै।।
    
     भानुजा शर्मा



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