"दहेज"

शीर्षक को पढ़ कर अधिकतर लोगों के चेहरों पर प्रसन्नता होगी। तो इसके साथ ही कुछ चेहरे चिंता,तनाव,और दर्द मे खो जायेगे इस दहेज को मे दंश कहकर पुकारू तो इस मे कुछ गलत नही।

जैसे की मैने अभी कहा की कुछ चेहरों पर प्रसन्नता होगी सर्वप्रथम हम उनकी ही बात करते है इन लोगों मे अधिकांश लोग सर्व सम्पन्न होते है इनके बेटे यदि हुए तो उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर ,या कोई व्यापारी बनाते है चाहे उन्हें पैसे के दम पर बनाये पर बनाते जरूर है जब उन्हीं बेटों के विवाह कि बारी आती है तो सबसे पहले बात होती है दहेज की। अरे भाई बात क्यों ना करे अपने बेटे का व्यापार जो करना हैं। इतने दिनों से पढ़ाया लिखाया योग्य बनाया वो पैसा भी तो वसूलना होता है बेटी वालों से...जितना योग्य बेटा उतना ही दहेज लेना जो होता है ,बेटा शिक्षक है तो मोटरसाईकल चलेगी और यदि बेटा डॉक्टर ,इंजिनीयर हुआ तो कार बिना काम ही नही चलेगा। ऐसे लोगों के उदाहरण मैने और आपने हमारे समाज मे काफी देखे होंगे।जैसे की बेटा पैदा हुआ है तो वो लोग जरूरत के समान तक नही खरीदते कह देते है बेटे की शादी मे आयेगा तो हम वैसे ही लेकर क्या करेगे।

यदि इन्ही सम्पन्न परिवार वालों के बेटी होती है तो उस बेटी के विवाह में लाखों खर्च करते है।पर किसी गरीब की बेटी का विवाह नही करते।

यही मेँ  उस लड़की की भी व्यथा बताना चाहूंगी जिसके आगे उसका पिता इसलिए परेशान है कि उसकी शादी के लिए दहेज देना हैं। अब खुद कुछ भी नहीं कर सकती। बार बार यह सोच  कर परेशान रहती है कि उसके आने से पहले ही उस घर में सिर्फ दहेज की चर्चा है उसकी नही।

एक नजर उस गरीब पिता पर भी ड़ाले जो दहेज के दंश से जीवन भर नही उभर पाता। एक बेटी का पालन पोषण करना और उसके विवाह पर दहेज के लिए पैसों का इंतजाम करना कभी सोचा है वो पिता अपने खेत और कई बार तो वो अपना घर तक बेच देता है उस बेटी की माँ अपनी बेटी को खुश देखने के लिए अपने सुहाग का मंगलसूत्र तक बेच देती है। ये सब करने के बाद भी जब उस माँ को और पिता को ये मालूम चलता है की उसकी बेटी को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है तो एक बार सोचिये क्या गुजरती होगी उनपर....ये वेदना के सोचने मात्र से मेरा मन बिचलित हो उठता है ये कहना भी गलत नही होगा वो माँ बाप तो जीते जी मर ही जाते है।

     हमारी सरकार भी दहेज लेने देने वालो पर ठोस कदम उठाती है क्या सिर्फ  प्रशासन के कुछ  करने से ही ये दहेज का दंश समाप्त हो जायेगा मुझे तो ऐसा संभव दिखाई नही पड़ता।

इस कुरीति तो मिटाने के लिए  सर्वप्रथम  महिलाओं को आगे आना होगा । महिलाओं की बात आई ही है तो थोड़ी इस बात पर भी चर्चा करते है मेरे सवालों के जबाब आप पर होतो दीजियेगा क्यों एक बेटी जब नंनद बनती है तो अपनी भाभी पर तंज कसती है वही एक माँ जब सास बनती है तो अपनी ही बहू तो  प्रताड़ित करती है।  क्या वो बेटी कभी बहू नही बनती क्या वो सास कभी बहू नही होती....तो ये सब क्यों बंद कीजिए ये दहेज लेना देना।

हमारे समाज में महिलाओं की मुख्य भूमिका है हमारे समाज की महिलाओं को दहेज के देश को समाप्त करने के लिए आगे आना चाहिए वरना ऐसे ही हमारे समाज में लाखों लड़कियों को जला दिया जायेगा। अधिकांश महिलाएं परेशान होकर प्रताड़ना से खुद आत्महत्या कर लेंगी।

हो सकता है कि मेरी कही हुई बातें आप लोगों को बुरी लगे पर माफ कीजिएगा यह मेरा दृष्टिकोण है हो सकता है आपका दृष्टिकोण मेरे से अलग हो।

इस बात पर विचार कीजिए यह कोई अच्छी प्रथा नहीं यह हमारे समाज के लिए बहुत बड़ी कुरीति है जो हमारे समाज में बेटियों के लिए पनप रहे प्रेम को समाप्त कर देगी।

          भानुजा शर्मा

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