माँ

                        "    माँ   "             
सर्वप्रथम मातृ दिवस की सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
 माँ ममता की सूरत है
धरती पर भगवान की मूरत है
सिर्फ एक दिन नही मेरे पास....
मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण उनको समर्पित है।।


इस मातृ दिवस को मै आधुनिक मातृ दिवस कहना ज़्यादा पसन्द करुँगी।इस का कारण ये की आधुनिक काल से पहले की बात करे तो माताओं के लिए एक दिन निश्चित नही किया था सम्पूर्ण जीवन ही माता के चरणों मे समर्पित होता था।
आधुनिक युग के लोग अपना पूरा जीवन अपनी माता के साथ  या उनकी सेवा ,देखभाल नही कर सकते इस लिए ही एक दिन सुनिश्चिय कर दिया गया जिससे माताओं को अपना प्रेम प्रगट कर सके। मेरा दृष्टिकोण यही कहता है हो सकता है अधिकतर लोग मेरी इस बात से सहमत ना भी हो किन्तु वो उनका दृष्टिकोण है।
इस मातृ दिवस के अवसर पर बड़े से घरों मे छोटे से कमरे के एक कोने मे पड़ी वो माँ आज सबको याद आगई...
याद भी क्यों ना आये तस्वीर जो साझा करनी थी...दुर्भाग्य तो देख़ो जिस माँ ने अपनी स्मृति पटल से अपनी संतान की स्मृति ओझल भी ना होने दि उस संतान के पास उसकी एक तस्वीर भी ना थी । चलो इसी बहाने उसे वो कोना याद आ ही गया जिनमें उसकी माँ महीनों से अपने बच्चों का इंतजार कर रही थी। मै ऐसे दिवस को कोटि कोटि नमन करती हू जिस दिन उस माँ का इंतजार आखिर खत्म तो होता है।
अच्छी बात है एक दिन ही सही हम सभी लोग माँ को याद तो करते है उनकी तस्वीर अपने साथ लगा कर प्रसन्न तो होते है
मैने उन लोगो को भी देखा है जो झगड़े में एक दूसरे की माँ बहनों को गालियां देते है । अरे भाई दे सकते है क्यों ना दे मातृ दिवस के दिन थोड़ी दि है बाद मे तो देंगे हर दिन थोड़ी होता है माँ बहनों का..... उन लोगो को भी मेरा प्रणाम।
अंत मे एक निवेदन है आज जो चार पंक्तिया माँ के लिए लिख के फ़ेसबुक ,व्हाट्सऐप, आदि पर डालोगे उन पर अमल भी कीजिये। 
 यदि मेरे दृष्टिकोण से किसी को आघात किया को तो क्षमा प्रार्थी हूँ🙏
                      भानुजा शर्मा

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