" मत कैद करो ना"

पिंजरे में कैद मत करो ना
अब तो उड़ जाने दो ना
जानती हूँ पिंजरा सोने का है
पर मुझे खुले आसमान में उड़ने दो ना।।

ख्वाबों में बुनती हूं मैं मेरे ख्वाब भरे सपने
अब तो उन्हे साकार करने दो ना
घर ही घर में रहती हूँ मैं
मुझे थोड़ी तो दुनियां देखने दो ना

सारी जरूरते पूरी होती हैं मेरी पिंजरे में भलेही
मुझे सुख की तलाश में घूमने दो ना
खोल के पिंजरा उड़ चली है भानु
अब अपने मंजिल की तलाश में।।

    भानुजा शर्मा

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