"मुरली"
कान्हा याँ पहर ना बजाओ मुरली
छोड़ आए हैं हम काज को
चूल्हे पर दूध रखो ,माखन बिलोय रहे हम आज तो
सुन मुरली सुध बुध हम भूली, क्यों छेड़त ऐसे राग कौ
मुस्कुराए रही किशोरी हमरि सुन तुम्हारी बात को
अधर धरि अब किशोरी ने मुरली ,नचावत अब नंद के लाल को।।
भानुजा शर्मा
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