"सही रास्ता"

कोई तो मुझे समझा दे सही रास्ता
क्योंकि खुद की उलझन अब मैं खुद हूं
दुनिया की होड़ करूं मैं..
खुद की मंजिल खुद अकेले ही मैं तय करूं।
किससे रखूं में अब वास्ता।
कोई तो बता दे मुझे सही रास्ता।।

चलती जा रही थी उस राह पर जहां और लोग चले थे
खुद को ढूंढ पाई ना इस दुनिया की भीड़ में
निकली हूं आज बरसों बाद खुद की ही तलाश में...
तय करती जा रही हूं रास्ता बस मंजिल पाने की आस में.
कोई तो बता दे मुझे आज किस से रखूँ वास्ता...
जिस से में चुन पाऊ सही रास्ता।।

नासमझ पागल सी हूँ मैं जानते हो तुम सब...
खोई हूँ मेँ खुद में ये कब मानते है सब
मेरी कस्ती के साथ लगा देते है लोग लहरों को
और देखते है मैं डूबती हूं कब.....
लोग रखते है भानु सिर्फ मतलब से वास्ता..
कोई मुझे भी बता दे सही रास्ता।।

                                      भानुजा शर्मा

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