" तेरी रजा"
कई बार देर रात तक जागती हूँ
पर आशिक नही हूँ मेँ
रात भर में रोती हूँ
पर किसी के गम मारी नही हूँ मेँ बहुत हुई अब तुम्हारी ये व्यंग भरी बाते...... बस करो इनको अब सहने के काबिल नही हूँ मेँ।।
कोई तो हो मुझे भी समझाने वाला...
क्या इस के भी काबिल नही हूँ मेँ।
मेँ खामोस रहू तो तकलीफ और बोलू तो खता..
मेरे खुदा अब तू ही बता क्या है इसकी वजह..
नही आती भानु मुझे रास ये तेरी जिंदगी....
आखिर क्या है तेरी रजा।
भानुजा शर्मा
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