"तलाश करे"

जो मान बैठे है खुद को पतझड़ मौसम...
आओ हम उनमें सावन की तलाश करें।
हार गए है वो खुद ही खुद से..                             
क्यों ना हम उनका प्रकाश बने।।

वो मान बैठे हैं खुद को रेत जैसा....
आओ उनमें हम समुंदर की तलाश करें।
बह रहे हैं जो हार के लहरों में...
 क्यों ना उनको हम आज किनारा करें।।

बैठे हैं पेड़ पर आज वो पक्षी की तरह.....                      हम  उनके आसमान की तलाश करें।
बहुत हुआ भानु अब सब से लड़ना झगड़ना.....
क्यों ना अब प्रेम से बात करें।।
    
                   भानुजा शर्मा

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