"उड़ती पतंग"
उड़ती पतंग सी थी वो
उड़ रही वो आसमान मे
ड़ोर अपनो के हाथो मे है
ये भूल गई थी वो।।😞
थमी खड़ी रही आसमान में ...
अपने साथियों द्वारा काट दि गई वो।।
ख़ामोश वो अक्सर रहती थी
क्यों की सच बोलती थी वो।।
घर था उसका बडा भलेही🏠
पर अक्सर कोना खोजती थी वो।।
जिसे पलकों मे पाला था कभी..
अब सबकी नजरों मे खटकती थी वो👀
रहती घर मे थी मत ना रख पाती कभी...
छुपाये सारे सचो को ...बस परेशान रहती थी वो।।
चाँद छुने की आरज़ू थी उनकी....
तो कोरे कागज पर चाँद उकेर लेती थी वो🎨🌙
नाम से सूरज हो भलेही भानु
पर चाँद जैसी शीतलता रखती थी वो....⛄
दुःख बस इस बात का था बार बार क्यों
बेहतरीन
ReplyDeleteप्रोत्साहन के लिए आभार
ReplyDeleteFabulous outstanding ������
ReplyDeleteThank you Deepak
DeleteBhut Sunder ❤️ (बाते कुच अनकहि सी......)
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