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नीली कामरिया

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पौढ़त प्यारी कोमल सेज,ओढ़ नीली कामरियाँ अद खुले नेत्र अलसावत लाड़ो सम्मुख साँवरिया रुनक झुनक किंकणी धुन,अठखेली करत नागरियाँ मांग सिंदूर प्रिया छवि न्यारी,मुस्कावत प्यारो साँवरिया देखत छविली की छवि भानु नीर वहावत बावरियाँ

फ़ाग पद

प्रिया प्रियतम दोऊ फ़ाग खेलत,अम्बुज छवि न्यारी कोई गावत कोई बजावत मृदग पखावज  धुन प्यारी उड़त अबीर बरसत केशर ,इत्र फुहार चले न्यारी कनकपात्र भरे रंगन सो खेलत फ़ाग राधा प्यारी
इस घोर अंधेरे में बस एक आश हैं वो चाँद आज अकेला नही एक धुँधला सा तारा पास हैं इन पेड़ों के झुरमुटों में  छुपा हो सारंग जैसे कुछ अधूरी अरमान लेकर चंद्रप्रभा बिखरी आज हैं

गीत

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      "सोचते थे" सोचते थे कि तुम हमारे ही हो  इस खातिर कभी पूछा ही नहीं देख कर गैरों की बाहों में हम हम चुप थे जैसे देखा ही नहीं बरसते रहे रात भर दो नैना सिसकियां मेरी मैंने सुनी ही नहीं कर दिए थे जो तुमने झूठे वादे कभी मैंने सच मानकर कुछ कहा ही नहीं  छोड़ दी थी जो जग से आश कभी तुमसे कि पर 'भानु' मैंने कहा ही नहीं हो मधुकर तुम सब कहते थे ये एक कली पर दिल लगा ही नही भानुजा शर्मा