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Showing posts from September, 2020

" गीत बनकर"

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गीत बनकर मैं तुम्हारे जहन में बस जाऊँगी तुम मुझे गुनगुनाते रहना एक ग़ज़ल की तरह... 1.रूठ कर मै तुमसे दूर चली जाऊँगी चाह कर भी मैं लौट ना पाऊँगी याद तुम को मै आयात की तरह आऊँगी। 2.याद आयेगी तुमको जब मिलन की बातें मेरी शरारतों पर तेरा रूठकर जाना देखकर खुद को आईने में मगर तुझे मैं ही नजर आऊँगी 3.याद करना कभी तो झूठे वादों को तेरी हस्ती भी मुझ से थी ऐसी बातों को मै खामोश होकर ही दूर चली जाऊँगी।       भानुजा शर्मा
ये रात आज सबसे काली हैं या ये कहु ये सबसे भारी हैं 😢😢😢😢😢😢😢

लिख ना पाती हूँ

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            " लिख ना पाती हूँ" अब लिखना पाती अपने दुःख को खुद व्यथित हो जाती हूं। देख अपनों की वेदनाएं   मैं अनवरत मर जाती हूं शान्ति गीत का पाठ पढ़ाने वाले अशान्ति दूत जब बन जाते है दूध से निर्मल रिश्तों को वो अक्सर खट्टा कर जाते है मौन ही मौन कब तक रहे हम अधिक झुकने वाले आसन बन जाते हैं सदैव अमृत बनने वाले भी अब बिष का प्याला बन जाते हैं। भोर सांझ तक सब भानु देखें खुद में सिमट कर रह जाती हूं करना बहुत कुछ चाहू फिर भी कुछ ना मैं कर पाती हूँ।        भानुजा शर्मा करौली(राजस्थान)

नेता जी

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                    'मातृभाषा' एक नेताजी हिंदी दिवस के अवसर पर सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव भाषण दे रहे हैं नेताजी हिंदी भाषा के बारे में कह रहे थे कि ये हमारी मातृभाषा हैं इसका सम्मान करना चाहिए और दैनिक बोलचाल में अपनी मातृभाषा को उपयोग में लेना चाहिए जिससे अपनत्व झलकता है आज बड़ी बड़ी बातें नेता जी कहे जा रहे थे थे इतने में पीछे से नेता जी का बेटा आ कर बोलता है पापा कहा हो? इतना सुनते ही नेताजी गुस्से में उस अबोध बालक को तमाचा मारकर है कहते है तुम से मना कर रखा है ना हिंदी में बात मत किया करो। अनपढ़ लगते हो अंग्रेजी बोला करो इतना सब कहने के बात नेता जी को याद आया कि वो सोशल मीडिया पर लाइव थे।इस ले बाद नेताजी कुछ ना कह सके । आप सभी मातृभाषा प्रेमियों के साथ साथ नेताजी जैसे हिंदी प्रेमियों को भी हमारी मातृभाषा हिंदी दिवस की शुभकामनाएं🙏🙏                भानुजा शर्मा 📝🙏          

'हिंदी गुजरी कहानी है'

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हिन्दी- हिंद हम हिंदुस्तानी हैं पर जुबा पर अंग्रेजी वाणी हैं सुबह जाग हम गुडमार्निंग कहते चरण स्पर्श बस गुजरी कहानी है कहने को हम हिंदुस्तानी है। प्रातः कलेवा करते बच्चें ब्रेकफास्ट अब सब की जुबानी हैं कहने को हम हिंदुस्तानी हैं पत्राचार अब होते अंग्रेजी में हिंदी किताबों में छपी एक कहानी है कहने को हम हिंदुस्तानी है बैर नहीं मुझे किसी भाषा से फिर हमें हिंदी क्यों विसरानी है कहने को हम हिंदुस्तानी है मातृभाषा है हमारी हिंदी  फिर क्यों ये सबसे बेगानी है अनिर्वचनीय है ये वेदना ' भानु' हिंदी सिर्फ पिछड़ी जिंदगानी है।           भानुजा शर्मा📝📝🙏