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30-12-24

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इन आँखों से आँसू बहे जा रहे हैं तुम से मिलने की खुशी में. या मिलकर बिछड़ने के गम में.....

ब्रजवास

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तन कहि भी रहे मन ब्रज में रहे ऐसा ब्रजवास सदा बना ही रहे। जग से पर्दा करू बैठू तेरे करीब  बात नैनो की नैनो से होती रहे। तू कहे तो सुबह तू कहे शाम हो तेरी राजी में मेरी हाँ बनी ही रहे। डगमगाए जो कश्ती भमर में मेरी मेरी नदियां का साहिल तू मेरा बना ही रहे। बस एक तमन्ना मेरी आखिरी तेरा दीदार में दिन गुजरते रहे। भानुजा शर्मा

अनकही बातें❣️

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 'अनकही बातें' जब थक हार जाती हूं दुनियां की बेमतलब की बातों से कही सुकून नहीं होता मेरे मन को बस तब सुनना चाहती हूँ... इधर आओ तुम्हें गले लगाता हू उनका इतना कहना मेरी सारी थकान मिटा देगा जब टूट जाती हैं मेरी हर एक उम्मीद कोई रास्ता नजर नही आता किसी से सहारे की क्या उम्मीद करनी हर शक़्स राहों में काटे बिछाता नजर आता है तब उनका एक शब्द ...... मैं तो हूँ साथ फ़िक्र क्यों करनी हैं मुझें उस अंधेरे में भी नई आस दे जायेगा कोई क़सम कोई वादा नही चाहिए मुझे ना ही मैं कहती हूं साथ जियो तुम मेरे ना सपना सजाती की बसा लो नई दुनिया मेरे साथ चाहती हूँ जिस पल कोई ना हो तुम्हारे साथ तो चले आना उस अल्लड़ सी लड़की के पास जो कभी बड़ी हुई ही नहीं। एक छोटा सा ख्वाब देखा था मैंने जो उनसे कभी कहा नही.... जब उदास हो मन मेरा...  अपनी उदासी उनके साथ बाँटू जब भी बेमतलब रोने का मन हो मेरा  तो जी भर के उनके कंधे पर सिर रख के रो लू... जानती हूँ ख्वाब के ख्वाब है ख्वाब ही रहेंगे। मेरी जादू की पुड़िया❣️
''मेरो मदन मोहन''     देखे ठाकुर लाख मगर कोई और ना मन मेरे भाए ये मदन मोहन मेरे मन बसों तो दूजो कौन सुहाए ऐसो का कर डालो तूने कोई और पे निगाह ना जाए तेरी एक झलक से मदना मेरो रोम रोम खिल जाए या मतवाले की छवि भली जो मन को चैन चुराए नैनन से देखू नैनन कु तो मुस्कनते मोहे रिझाये ये नजर तोपे अटकी मोहन कहि और बहक ना जाए इन्हें कैद कर रखियो प्यारे कहि और भटक ना पाए चरणन ऐसो राज छुपो जो जाने सो फल पाए जो नित करे दर्शन तेरे अब बापे रहयो ना जाये छप्पनभोग नित पायो याने जो याके मन कु भाए अष्ट पहर की झांकी नित नव भोग खावे और खवाए धन्य करौली नगरी जो याके दर्शन को सुख पाए बैठ सिंघासन मदनमोहन 'वृन्दा' पर कृपा बरसाए वृन्दा शर्मा(बिट्टु) करौली(राजस्थान)

शायरी

कितना भी मान रख लो जमाने में किसी का वो अपमान पर उतरता जरूर हैं। यदि आईना मन दिखलाता तो कुछ लोग कभी सामने ना आते। तेरी एक मुस्कुराहट पर खुशियां लुटाई है मैंने और तुम कहते हो खोया क्या है। इस समझदारी की दुनिया में उसने समझ के रिश्ते खेले हैं जीते जो उसके...... जो सब हारे वो मेरे हैं। नशा प्रेम का हो या पैसे का उतरता जरूर है मन नही होता जमाने से गुफ़्तगू का तेरी निगाहों से बड़ा मसला सुलझा हैं भार ही लगती हैं दुनियां की वो बातें सभी  जिनमें तू शामिल ना हो। तू जब साथ हो तो मुझें.... रेगिस्तान में भी बंसत लगती हैं

दर्द देने लगा हैं

वो भी अब हंसकर के मजा लेने लगा है  जो दर्द समझता था वो भी दर्द देने लगा है फर्क नहीं पड़ता उसको मेरे हालातो से मेरे पीठ पीछे अब वो कही और गुफ़्तगू करने लगा है नहीं छूटा एक भी रोज मरजा का काम उसका यहाँ तो जीवन मेरा बिखरा बिखरा रहने लगा हैं फर्क नहीं पड़ता अब उसको मेरे रोने से सुना हैं वो खिलखिला कर हँसने लगा है। मुझे वहम मैं रखने को परेशान हूं यह कहता हैं अक़्सर वो अपनी प्रेमिका के संग अब शहर मे घूमने लगा हैं .

मन मेरा

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इस नदिया से जीवन में ये जो समुद्र से ज्वार भाटे आते हैं ना अब उनसे नहीं घबराती मैं भरोसा है किनारे पर हाथ थामे तू जो खड़ा है मेरा। खुश हूं सुकून से हूं सबके आगे यह दिखा देता हूं नही रोक पाती खुद को तेरे आगे रोने से  जानती हूं इस मतलबी दुनियां में तू ही तो हैं मेरा। जो कहते हैं बेज्जत,बेआबरू खड़ा कर देंगे सड़क पर लाकर मुझको वो शायद भूल जाते हैं भाई कौन हैं मेरा ऐसा नहीं है की तकलीफ नहीं होती मुझे या मन नहीं घबराते मेरा या याद नही आती उसकी इस जमाने के आगे  ऊपर से नारियल सा सख्त भीतर जल में किलोल ऐसा बन गया हैं मन मेरा। कर लू खुद को अनंत सा मोन जहाँ ना पहुंच पाए जमाने की सोच मुझ तक। नाम से शीतलता झलकती हैं मेरे पर अब मन आईना नहीं हैं मेरा। ✍️