इस नदिया से जीवन में ये जो समुद्र से ज्वार भाटे आते हैं ना अब उनसे नहीं घबराती मैं भरोसा है किनारे पर हाथ थामे तू जो खड़ा है मेरा। खुश हूं सुकून से हूं सबके आगे यह दिखा देता हूं नही रोक पाती खुद को तेरे आगे रोने से जानती हूं इस मतलबी दुनियां में तू ही तो हैं मेरा। जो कहते हैं बेज्जत,बेआबरू खड़ा कर देंगे सड़क पर लाकर मुझको वो शायद भूल जाते हैं भाई कौन हैं मेरा ऐसा नहीं है की तकलीफ नहीं होती मुझे या मन नहीं घबराते मेरा या याद नही आती उसकी इस जमाने के आगे ऊपर से नारियल सा सख्त भीतर जल में किलोल ऐसा बन गया हैं मन मेरा। कर लू खुद को अनंत सा मोन जहाँ ना पहुंच पाए जमाने की सोच मुझ तक। नाम से शीतलता झलकती हैं मेरे पर अब मन आईना नहीं हैं मेरा। ✍️